रेड फ्रॉक

समूह के बारे में
प्रस्तुति बिहार के प्रसिद्ध थिएटर ग्रुप में से एक है। जिसकी स्थापना वर्ष 2011-1012 में हुई। तब से लेकर अब तक रंगमंच के क्षेत्र में काफी सक्रिय रूप से कार्यरत है। हमारी टीम ने पूरे भारत में प्रदर्शन किया है जैसे, भोपाल, जबलपुर, दिल्ली, रांची, कोलकाता आदि। प्रस्तुति टीम ने कई उल्लेखनीय नाटक किए हैं जैसे, यक्षिणी, लाल पान की बेगम, बकरी, लहरों के राजहंस, माटी गाड़ी, एकला चलो रे , रेनुनामा, रतिनाथ की चाची, पारो, भागी हुई लड़कियां, और कई अन्य। प्रस्तुति समूह ने भारत रंग महोत्सव, जयरंगम, मिनर्वा, रंगायन, एसएनए महोत्सव, बहुरूपिया नाट्य महोत्सव, रंग जलसा आदि जैसे कई राष्ट्रीय थिएटर उत्सवों में भाग लिया। पिछले साल हमारे नाटक रतिनाथ की चाची को भारत के प्रतिष्ठित थिएटर उत्सवों में से एक भारत रंग महोत्सव के लिए चुना गया था।

नाटक “रेड फ्रॉक”के बारे में :-

सिद्धांत, आदर्श, विचार, दर्शन, गहन मंथन से उपजे सूत्र हैं जो बने बनाए सामाजिक फॉर्मेट को तोड़ सकते हैं। वैसे भी जिसकी जरूरत नहीं होती वो बिखर ही जाता है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि जो बिखर गया है उसकी जरूरत नहीं थी या नहीं रहेगी।
सिद्धांत सभी बनाते हैं, उस पर दृढ़ता से चलने का संकल्प भी लेते हैं। विचार उपजते हैं, कुछ अच्छे-बुरे अनुभवों से सुदृढ़ होकर जीवन दर्शन बन जाते हैं। आदमी इन्हीं सिद्धांतों को लेकर और कष्ट भोगकर उनका पालन करता है। किन्तु दोहरा मापदण्ड भारतीय पुरुषों की मनोवृत्ति है। इस स्थिति में सिद्धांतों का पालन किसी आम पाखण्ड के कर्मकाण्ड की तरह प्रतीत होने लगता है। यह स्थिति वैसी ही है। जैसे कि आप तमाम उम्र सांप-सीढ़ी के खेल की तरह सिद्धांतों की सीढ़ी चढ़कर, कष्ट भोगते हुए तप कर लाल हुए और अंत में निन्यानवे के सांप के काटने से विषाक्त ! नीले पड़ गये। इसी लाल से नीले होने जाने की मनोवृत्ति का ट्रांसफॉर्मेशन है-“रेड फ्रॉक”।

निदेशक के बारे में
संजय उपाध्याय उन नाट्य निर्देशकों में से एक हैं जिन्होंने देश के कई क्षेत्रों में रंगमंच किया और नई पीढ़ी में रंगमंच की नई चेतना स्थापित की। एनएसडी से निर्देशन में स्नातक और पटना विश्वविद्यालय से एम.ए. (अंग्रेजी) के साथ रतन थियाम, हबीब तनवीर और बी.वी. कारंत जैसे लोगों के बीच देश में एक प्रमुख थिएटर निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
वह निर्माण कला मंच, पटना के निदेशक हैं; उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई नाटकों का प्रदर्शन किया है और प्रमुख थिएटर हस्तियों बी.वी. कारंत, बैरी जॉन, रतन थियाम, डी.आर. अंकुर ने उनकी सराहना की है। इसके अलावा वह श्री राम सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक भी रहे हैं। अंशकालिक थिएटर प्रशिक्षक के रूप में उन्होंने कई थिएटर कार्यशालाओं में काम किया है; उन्होंने कई प्रतिष्ठित निर्देशकों की प्रस्तुतियों में संगीत दिया है जैसे:- भानु भारती, गौतम मजूमदार, रॉबिन दास, बंसी कौल, बी.एम. शाह, रामगोपाल बजाज, सत्यदेव दुबे, बैरी जॉन, डी.आर. अंकुर, आलोक चटर्जी, अवतार साहनी और अजय मलकानी आदि; और कोलंबिया, सूरीनाम, कराकस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समारोहों के निदेशक रहे हैं। भारतीय रंगमंच के प्रति उनके योगदान को मान्यता देते हुए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली ने संजय उपाध्याय को विभाग द्वारा अनुमोदित मनोहर सिंह स्मृति सम्मान 2010 से सम्मानित किया है। उन्हें हबीब तनवीर सम्मान, पाटलिपुत्र सम्मान, जगदीशचंद्र माथुर सम्मान, राष्ट्र गौरव सम्मान, शिवमंगल सिंह सुमन सम्मान आदि से सम्मानित किया गया।
संजय उपाध्याय ने कई पूर्णकालिक नाटकों का निर्देशन किया है जैसे: – बकरी, बिदेसिया, जीवन लीला, गबरघिचोर, अंधेर नगरी, समझौता, हमारी बुढिया, जसमा ओढ़न, नल दमयंती, कॉमरेड का कोट, खड़िया का घेरा, गाज़ीपुर का हज्जाम, रुस्तम सोहराब, तीन पेनी ओपेरा, मालवकाग्निमित्रम, बड़ा नाटकिया कौन, गगन घटा गहरानी, नीलकंठ निराला, कंपनी उस्ताद, घासीराम कोटवाल, हीरा डोम, गगन दमामा बाज्यो, मृच्छकटिकम (कन्नड़), स्मृति रेखा, हरसिंगार, धरती आबा, मंगोसिल, कहां गए मेरे उगना, अंबपाली , परती परिकथा, उत्तर प्रियदर्शी, जनवासा, अंधा युग, नीलकंठ निराला, स्वप्न मंगल कथा, जनत तुलसीदास, हे थागत, दलिया, बटोही, जल डमरू बाजे, तीसरा मंतर, आनंद रघुनंदन, कादंभरी, हसीनाबाद, अंधों का हाथी, असमंजस बाबू आदि उन्होंने कविता, लघु कथाएँ और एकल प्रस्तुतियों के नाटकीयकरण का भी निर्देशन किया है और साहित्यकारों के जीवन पर आधारित मंच प्रस्तुतियों पर भी काम किया है: – निराला, राहुल, हब्बा खातून, तुलसीदास, महेंद्र मिसिर, भारतेंदु, कबीर, फणीश्वर नाथ रेनू, भिखारी ठाकुर, मोहन राकेश, विद्यापति, महादेवी वर्मा, रवीन्द्र नाथ टैगोर, हीरा डोम, जयप्रकाश नारायण आदि और अन्य जैसे:- बिरसा मुंडा, अशोक महान, भगत सिंह, आम्रपाली आदि।
वह 1994-96 में श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, नई दिल्ली में कलात्मक-निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (नई दिल्ली) भारतेंदु नाट्य अकादमी (लखनऊ), पटियाला नाटक विभाग (पंजाब विश्वविद्यालय), निनासम (कर्नाटक) मंडी अभिनय पाठ्यक्रम, (हिमाचल प्रदेश) से विजिटिंग फैकल्टी के रूप में संबद्ध।
वह मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा, भोपाल संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश सरकार के संस्थापक निदेशक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
संगीत नाटक अकादमी द्वारा रंग-निर्देशन के क्षेत्र में वर्ष 2018 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों से भी पुरस्कृत हैं।

मंच पर
आशुतोष द्विवेदी

मंच परे
ध्वनि – रोहित चंद्रा
प्रकाश – विनय कुमार
वेशभूषा – रोशनी कुमारी
मंच सामग्री – विनीता सिंह
पोस्टर डिजाइन – ज़फ़र
रूप सज्जा – कोमल कुमारी
मंच संचालक – विनय कुमार
मीडिया प्रभारी – विवेक कुमार
परिवहन – जितेन्द्र कुमार जीतू
सहा. मंच संचालक – पीयूष गुप्ता
गति – महिमा
प्रस्तुति नियंत्रक – शारदा सिंह
सहा-नियंत्रक- स्पर्श मिश्रा
पूर्वाभ्यास प्रभारी – राजू मिश्रा
नाटककार – आशीष पाठक
सहायक निर्देशक – शारदा सिंह
परिकल्पना एवं निर्देशन – संजय उपाध्याय

About the Group
Prastuti is one of the famous theatre group of Bihar. Established in 2011-1012, since working very actively in the field of theatre till now. Our team has been performed in all over India like, Bhopal, Jabalpur, Delhi, Ranchi, Kolkata etc. Prastuti team done many of remarkable plays like, Yakshini, Laal Paan ki Begam, Bakri, Laharon ke Rajhans, Maati Gadi, Ekla Chalo Re, Renunama, Ratinath ki Chachi, Paro, Bhagi Hui Ladkiyan, and many on. Prastuti group participated in many of national theatre festivals of like, Bharat Rang Mahotsav, Jairangam, Menerva, Rangayan, SNA festival, bahurupiya natya Mahotsav, rang jalsa etc. last year our play Ratinath ki Chachi selected for one of the prestigious theatre festival of india Bharat Rang Mahotsav.

About the play “Red Frock”

Principles, ideals, ideas, philosophies are the formulas born out of deep thinking which can break ready-made social formats. Anyway, whatever is not needed gets scattered. But it is not that what has been scattered was not needed or will not be needed.
Everyone formulates principles and also resolves to stick to them. Ideas arise, get strengthened by some good and bad experiences and become a philosophy of life. Man takes these principles and follows them after suffering. But double standards are the attitude of Indian men. In this situation, adherence to principles begins to seem like a ritual of common hypocrisy. This situation is similar. As if you climbed the ladder of principles all your life like a game of snakes and ladders, suffered hardships, did penance and finally got poisoned by the bite of the ninety-ninth snake. Turned blue. The transformation of this attitude from red to blue is – “Red Frock”.

ABOUT THE DIRECTOR
Sanjay Upadhyay is one of those theatre directors who have been too many areas of the country to do theatre and do install a new theatre consciousness in the new generation. A graduate in direction from NSD and with a M.A. (English) from Patna University has been carving a niche as a prominent theatre director in the country among the likes of Ratan Thiyam, Habib Tanweer and B.V. Karant.
He is director of Nirman Kala Manch; is a 26 years old theatre group of Patna & Safarmaina, the children wing of Nirman Kala Manch; has performed so many plays in national level & praised by prominent theatre personalities B.V. Karant, Bairi John, Ratan Thiyam, D.R. Ankur etc. Besides this he has been director of Shri Ram Centre, New Delhi. As a part time theatre trainer he has worked in many theatre workshops; has given music to many productions by reputed director like:- Bhanu Bharti, Gautam Majumdar, Robin Das, Bansi Kaul, B.M. Shah, Ramgopal Bajaj, Satyadev Dubey, Bairi John, D.R. Ankur, Alok Chatterjee, Avtar Sahni & Ajay Malkani etc; and has been director for international festivals held in Columbia, Surinaam, Caracas. As recognition of his contribution towards Indian Theatre, National School of Drama, New Delhi has awarded Sanjay Upadhyay with the Manohar Singh Smriti Samman 2010, approved by the Deptt. Of Culture, Govt. of India. He was awarded with the Habib Tanweer Samman, Patliputra Samman, Jagdishchandra Mathur Samman, Rashtra Gaurav Samman, Shivmangal Singh Suman Samman etc.
Sanjay Upadhyay has directed many full length plays like:- Bakri, Bidesia, Jeewan Leela, Gabarghichor, Andher Nagri, Samjhauta, Hamari Budiya, Jasma Odhan, Nal Damyanti, Comrade ka Coat, Khadia ka Ghera, Gajipur ka hajjam, Rustam Sohrab, Three Penny Opera, Malvakagnimitram, Bada Natakiya Kaun, Gagan Ghata Gahrani, Neelkanth Nirala, Company Ustad, Ghasiram Kotwal, Heera Dom, Gagan Damama Bajyo, Mrichchhakatikam (Kannada), Smriti Rekha, Harsingaar, Dharti Aaba, Mangosil, Kahan Gaye Mere Ugna, Ambapali, Parti Parikatha, Uttar Priyadarshi, Janwasa, Andha Yug, Neelkanth Nirala, Swapna Mangal Katha, Janat Tulsidas, Hey Thatagat, Daaliya,Batohi, Jal Damroo Baje, Teesra Mantar, Anand Raghunandan, Kadambhri, Haseenabad, Andho ka Hathi, Asmanjas Babu etc. He has also directed dramatization of poetry, short stories & solo productions and has worked on stage presentations based on the life of literary person like:- Nirala, Rahul, Habba Khatoon, Tulsidas, Mahendra Misir, Bhartendu, Kabir, Fanishwar Nath Renu, Bhikhari Thakur, Mohan Rakesh, Vidyapati, Mahadevi Verma, Rabindra Nath Tagore, Heera Dom, Jayprakash Narayan etc & others like:- Birsa Munda, Ashoka the Great, Bhagat Singh, Amrapali etc.
Hes has been Working as Artistic-Director, Sri Ram Centre for performing Arts, New Delhi in 1994-96.
Associatated with National School of Drama (New Delhi) Bhartendu Natya Academy (Lucknow), Patiala Drama Dept. (Punjab University), Ninasam (Karnatka) Mandi Acting Course, (Himacital Pradesh) as Visiting Faculty.
Hes has been working as Founder Director of Madhya Pradesh School of Drama, Bhopal Department of Culture govt.of Madhya Pradesh from 7th oct. 2010 to 7th 0ct.2018.
Sangeet Natak Akademi (National Academy of Musi, Dance and Drama New Selhi) Announced Sangeet Natak Akademi Awards for the year 2018 in the field of Theatre Direction.

ON SATAGE
Ashutosh Dwivedi

OFF STAGE
Sound – Rohit Chandra
Light – Vinay Kumar
Costume – Roshni Kumari
Property – Vinita Singh
Poster Design – Zaffar
Makeup – Komal Kumari
Stage manager – Vinay Kumar
Media incharge – Vivek Kumar
Transportation – Jitendra Kumar Jeetu
Asst. Stage Manager – Piyush Gupta
Movement – Mahima
Production Controller – Sharda Singh
Asst. Controller – Sparsh Mishra
Rehearsal Inchage – Raju Mishra
Playwright – Ashish Pathak
Asst. Director – Sharda Singh
Design and Direction – Sanjay Upadhyay

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