ए बोरिंग स्टोरी

A BORING STORY

  • A story Written by Anton Chekhov
  • Dramatization, Design and Direction – BAHARUL ISLAM
  • Language of the play – Hindi
  • Group – Seagull Studio, Guwahati

About SEAGULL THEATRE

In the 1990s, a few young and dedicated theatre activists including some graduates from The National School of Drama saw a dream…to enrich the panorama of Assamese theatre by experimentation, training and consistent practice; to provide a prolific exposure of Assamese theatre to a national and international audience and to bring the richness of Indian and world classic plays to local theatre viewers through regular performances. As a stepping-stone to make this dream a reality ‘Seagull’ was established on 10th December 1990 at Guwahati. Seagull is registered under the Societies Registration Act, XXI of 1860.

Initially Seagull’s focus was exclusively on performances, but gradually there was a need to diversify its activities. As a response to this requirement and in the greater interest of Assamese Theatre, it was felt that there should be an increase in its repertoire. Consequently, the numbers of activity wings were increased.

The troupe has several activity wings. Seagull Theatre Academy- One year Theatre Training Course under National School of Drama extension programmer approved by Ministry of Culture, Govt. of India. Theatre in Education, Publication, Organizing Theatre Festivals for 15 years, Working for Spastic Children in association with Sishu Sarothi. Conducting Theatre Workshops for Children and Youth. Seagull Repertory company.

Seagulls some important play productions are Urukha, Guwahati Guwahati, Jatra, Simar Sipare-beyond the obvious, Abhimoinnu, Gandhari Ka Abhishap, Ashad Ka ekdin, Puntila and his man matti, Saraighat, Buddhuram, Antigone, Holi, Gadha Nritya, Mricchakatikam, Tughlaque, Parashuram, Court Marshal, Ram Shyam Jadu, The green serpent, Madhyabartini etc.

Participation in Festivals – The troupe has participated in many festivals with their play productions including-Nandikar Festival-Kolkata, Bharat Rang Mahotsav- organized by NSD, New Delhi, Prithvi Festval – Mumbai, Rangyana Karnataka’s Bahurupi Festival, Mysore, Sangeet Natak Academy’s Festival- Guwahati, Delhi, Hyderabad, Eastern Zone Cultural Center’s Festival, Kalyani South Asia Theatre Festival, Siliguri Festival, Ninasam Karnataka, All India women Theatre Festival-Kolkata, Nehru Center’s National Theatre Festival-Mumbai etc.

Working Space – Seagull has its own space for practicing theatre regularly, Class rooms for Academy, Rehearsal Hall, An open-air Theatre, Studio theatre, Library.

A BORING STORY By Anton Chekhov

A platonic love developed over a period of time, between an elderly renowned professor and a young aspiring actress (Katya). They find solace in each other by connecting over their lonely hearts and anxious minds.

While Katya struggles for achieving her dreams, the Professor is preoccupied with the thought of death as a means to end his mundane life. Hence, the story revolves around them trying to pull each other out of their despair for a hopeful future. But the question lies in whether they will be able to get what they want or will it cost them something precious.

DIRECTOR NOTE

Chekhov always attracts me. Directed several plays by him but still hungry to explore his story. It’s a story of Boredom, Paralysis, Self-Consciousness. “A Boring Story” sets itself the paradoxical task of holding a reader’s attention using an admittedly “boring” narrative. Accumulations of small details, painstaking descriptions of minor characters, and beside-the-point intellectual discussions are all hallmarks of Nikolai Stepanovich’ style. All these features seem designed to exasperate readers. Yet Nikolai Stepanovich’s longwindedness also helps us to understand the tragicomic side of this character. His need to tell his story to himself, in bizarre detail, is an indication of what a self-absorbed, isolated, unfulfilled person he truly is.

CAST and CREW

  • Original story: Anton Chekhov
  • Dramatization: Baharul Islam
  • Costume: Bhageerathi bai
  • Music: Gauranga Narayan Dev
  • Light: Bikash das
  • Property: Prasanta Kalita
  • Design and Direction: Baharul Islam

On Stage

Baharul Islam, Bhageerathi, Monika Shri Mandal, Ankit Goswami, Gauranga Narayan Dev

About the Director

BAHARUL ISLAM, Born in 16th August 1964, Rangjuli, Assam. Graduated from National School of Drama, New Delhi in ACTING in 1990. As An ACTOR and DIRECTOR Acted in almost 80 plays in Different languages- Assamese, Hindi and English. Designed and directed almost 30 plays for SEAGULL. Formed own theatre troupe SEAGULL in Guwahati at own residential premises in 1990.

ADDRESS – Baharul Islam, Seagull Theatre, 14, Jurani Path, R G Baruah Road, Guwahati 781005, Assam, Tel: 0361 2204802 and 09678006567, email ID: Baharul.seagull@gmail.com

 

नाटक – ए बोरिंग स्टोरी

  • लेखक : एंटोन चेखव
  • परिकल्पना और निर्देशन : बहारुल इस्लाम
  • भाषा : हिन्दी
  • प्रस्तुति : सीगल स्टूडियो, गुवाहाटी

सीगल थिएटर के बारे में

1990 में कुछ युवा रंगकर्मी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कुछ स्नातकों ने असमिया रंगमंच के परीदृश्य में प्रयोग, प्रशिक्षण, लगातार अभ्यास से समृद्ध करने के साथ ही साथ राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय दर्शकों को एक व्यापक भारतीय और विश्व प्रसिद्द नाटकों का नियमित प्रदर्शन से रुबरु कराते रहने का सपना देखा। इस सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए 10 दिसम्बर 1990, गुवाहाटी में सीगल थियेटर की स्थापना, सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (XXI,1860) के तहत हुई। प्रारंभ में सीगल का ध्यान विशेष रूप से प्रदर्शन पर था लेकिन धीरे-धीरे इसकी गतिविधियों में विविधता लाने की आवश्यकता महसूस होने लगी और इसी आवश्यकता के परिणामस्वरूप, इसके गतिविधि में विविध कार्यक्षेत्र की स्थापना की गई। आज सीगल थिएटर अकादमी – राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा अनुमोदित एक साल का रंगमंच ट्रेनिंग कोर्स के साथ ही साथ, रंगमंच की शिक्षा, प्रकाशन, विभिन्न प्रकार का रंगमचीय आयोजन का आयोजन, शिशु सरोथी के सहयोग से अपाहिज बच्चों के लिए काम करना, बच्चों और युवाओं के लिए रंगमंच कार्यशालाओं का आयोजन और सीगल रिपेटरी कंपनी आदि क्षेत्रों में कार्यरत है. सीगल की कुछ महत्वपुर्ण नाटक प्रस्तुतियां ऊरूखा, गुवाहाटी गुवाहाटी, जतरा, सिमर सिपारे – बियोंड थे ऑब्वियस, अभिमोइन्नु, गांधारी का अभिशाप, आषाढ़ का एक दिन, पुंटीला एंड हिज मैन मट्टी, सराईघाट, बुद्धुराम, एंटीगोन, होली, गधा नृत्य, मृच्छकटिकम, तुगलक, परशुराम, कोर्ट मार्शल, राम श्याम जादू, द ग्रीन सर्पेंट, मध्यबर्तिनी, के कुशलतापूर्वक मंचन के साथ ही साथ नंदीकार फेस्टिवल – कोलकाता, भारत रंग महोत्सव – राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय,नई दिल्ली, पृथ्वी फेस्टिवल – मुंबई, रंगायन कर्नाटक बहुरूपी फेस्टिवल – मैसूर, संगीत नाटक अकादमी फेस्टिवल – गुवाहाटी, दिल्ली, हैदराबाद, ईस्टर्न जोन कल्चरल सेंटर फेस्टिवल, कल्याणी साउथ एशिया थिएटर फेस्टिवल, सिलीगुड़ी फेस्टिवल, निनासम कर्नाटक, ऑल इंडिया वूमेन थिएटर फेस्टिवल – कोलकाता, नेहरू सेंटर नेशनल थिएटर फेस्टिवल – मुंबई  आदि प्रतिष्ठित नाट्य-उत्सवों में अपने नाटकों का मंचन किया है। सीगल के पास नियमित रूप से थिएटर का अभ्यास करने के लिए सीगल का अपना स्थान है, पूर्वाभ्यास स्थल,  एक खुला मंच, स्टूडियो थिएटर और पुस्तकालय हैं.

कथासार

यह एक बुजुर्ग प्रसिद्ध प्रोफेसर और एक युवा महत्वाकांक्षी अभिनेत्री (कात्या) की समय के साथ विकसित हुई एक आदर्श प्रेम कहानी है। उन्हें एक-दूसरे से जुड़कर ही अपने अकेलेपन और अशांत मन से सुकून और राहत मिलती हैं। जहां कात्या अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है, वही प्रोफेसर इस सोच में व्यस्त है कि मृत्यु ही उसके सांसारिक जीवन को समाप्त करने का एक साधन है। इस तरह, कहानी उनके इर्द-गिर्द घूमती है जहां दोनों एक-दूसरे को निराशा से बाहर निकालने और एक आशापूर्ण भविष्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे जो चाहते हैं वह हासिल कर पाएंगे या इसकी उन्हें कुछ अनमोल कीमत चुकानी पड़ेगी।

निर्देशकीय

चेखव मुझे हमेशा आकर्षित करते हैं। उनके कई नाटकों का निर्देशन किया, लेकिन अभी भी उनकी कहानी जानने की भूख है। यह बोरियत, पक्षाघात, आत्म-चेतना की कहानी है। ए बोरिंग स्टोरी  एक उबाऊ कथा का उपयोग करके पाठक का ध्यान खींचने का विरोधाभासी कार्य स्वयं निर्धारित करती है। छोटे विवरणों का संचय, छोटे पात्रों का श्रमसाध्य वर्णन और इसके अलावा बिंदुवार बौद्धिक चर्चाएं चेखव की शैली की पहचान हैं. ये सभी सुविधाएँ पाठकों को परेशान करने के लिए डिज़ाइन की गई लगती हैं। फिर भी चेखव की दीर्घावधि हमें इस किरदार का दुखद पक्ष समझने में मदद करती है। अपनी कहानी को स्वयं विचित्र विस्तार से बताने की उनकी आवश्यकता इस बात का संकेत है कि वह वास्तव में अपने में लीन, अलग-थलग रहने वाले, एक आत्म प्रेमी व्यक्ति थे।  

निर्देशक के बारे में

बहरुल इस्लाम, वर्तमान समय में रंगमंच और सिनेमा के क्षेत्र में कार्यरत 16 अगस्त 1964 को जन्में बहरुल इस्लाम राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली से अभिनय विषय विशेषज्ञता से उतीर्ण एक ऐसे अभिनेता, निर्देशक है जो असमी, हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में कार्यरत है. इन्होंने अब तक लगभग 30 नाटकों का निर्देशन किया है जिसका मंचन कुशलतापूर्वक देश के कई प्रतिष्ठित नाट्य-उत्सवों में किया गया है. लगभग चार साल तक इन्होंने असम का व्यावसायिक जात्रा नाट्य दलों के साथ भी कार्य करने का अनुभव. कई सारी हिंदी और असमी फ़िल्मों  में बतौर अभिनेता भी कार्य कर चुके हैं.  वर्तमान समय में बहुरुल इस्लाम भारतीय रंगमंच और सिनेमा जगत के चर्चित नाम हैं. सन 1990 में देश के प्रतिष्ठित नाट्य दल सीगल के संस्थापक सदस्य. 

मंच पर

बहरुल इस्लाम, भागीरथी, मोनिका श्री मंडल, अंकित गोस्वामी एवं गौरांग नारायण देव

मंच पर

  • मूल कहानी : एंटोन चेखव
  • नाट्य-रूपांतरण : बहरुल इस्लाम
  • वेशभूषा : भागीरथी बाई
  • संगीत : गौरांग नारायण देव
  • प्रकाश : विकास दास
  • मंच-सामग्री : प्रशांत कलित
  • डिज़ाइन और निर्देशन : बहारुल इस्लाम
  • पता – बहरुल इस्लाम, सीगल थियेटर, 14, जुरानी पथ, आर जी बरुआ रोड,  गुवाहाटी – 781005, फोन – 0361 2204802 और 09678006567, इमेल : Baharul.seagull@gmail.com
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